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काल्पनिक चित्र |
धारा 108. का उदाहरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 108 के अनुसार, वह व्यक्ति जो किसी अपराध को करने के लिए उकसाता है या ऐसे कार्य को करने के लिए उकसाता है जो अपराध का कारण बन सकता है, यदि अधिनियम का उद्देश्य कानून में सक्षम व्यक्ति द्वारा अपराध को अंजाम देने के लिए उकसाना है। या ज्ञान से किया जाता है, उसे 'भ्रामक' कहते हैं,
व्याख्या 1- किसी अधिनियम के अवैध लोप का दुष्प्रेरण एक अपराध की कोटि में आ सकता है, भले ही दुष्प्रेरक स्वयं उस कार्य को करने के लिए बाध्य न हो।
व्याख्या 2-- किसी अपराध को गठित करने के लिए उकसाने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि वह कार्य जो दुष्प्रेरित किया गया हो या अपराध को गठित करने के लिए आवश्यक प्रभाव कारित किया गया हो।