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IPC की धारा 166ख का उदाहरण
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 166ख पीड़िता के अस्पताल और इलाज के बारे में जानकारी देता है। IPC की धारा 166ख के अनुसार, जो कोई भी अस्पताल, सार्वजनिक या निजी का संचालक है, चाहे वह केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा संचालित हो, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 357ग के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, तो उसे अपराधी माना जाएगा और वह सजा का हकदार होगा। सीधे शब्दों में कहें तो यदि उपर्युक्त व्यक्ति पीड़ित का इलाज नही करता या इलाज नहीं करवाता है, तो वह कानून की नजर में अपराधी होगा।
सजा का प्रावधान
ऐसा करने वाले दोषियों को कम से कम 6 महीने की कैद की सजा दी जाएगी। जिसकी अवधि अधिकतम दो वर्ष तक हो सकती है। साथ ही उस पर आर्थिक जुर्माना भी लगाया जाएगा। यह एक संज्ञेय और जमानती अपराध है। जिसे सुनने का अधिकार किसी भी मजिस्ट्रेट को है। ये अपराध किसी भी तरह से सुलह योग्य नहीं हैं।
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