काल्पनिक चित्र |
धारा 182 का उदाहरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 182 के अनुसार, जो कोई भी व्यक्ति किसी लोक सेवक ( सरकारी अधिकारी ) को कोई ऐसी जानकारी देता है जिसके बारे में वह जानता है या विश्वास करता है कि वह निराधार है, उस लोक सेवक को उत्प्रेरित करने के आशय से या यह सम्भाव्य जानते हुए कि वह उसके द्वारा उस लोक सेवक को-
(अ) जिसे लोक सेवक नहीं करता या करने से चूक जाता है अगर उसे तथ्यों की सही स्थिति पता होती जिसके संबंध में ऐसा नोटिस दिया गया है। या
(ब) किसी भी व्यक्ति की चोट या झुंझलाहट के लिए ऐसे लोक सेवक की वैध शक्ति का उपयोग करता है,
वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि छह माह तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दंडित किया जाएगा।
लागू अपराध
एक अवैध सभा का सदस्य होना
सजा - छह महीने की कैद या एक हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों।
यह एक जमानती, असंज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
Offence : किसी लोक सेवक को झूठी सूचना देना ताकि वह किसी भी व्यक्ति की चोट या झुंझलाहट के लिए अपनी कानूनी शक्ति का प्रयोग कर सके
सजा: 6 महीने या जुर्माना या दोनों
संज्ञान : असंज्ञेय
जमानत : जमानती
ट्राइएबल : कोई भी मजिस्ट्रेटमजिस्ट्रेट
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