काल्पनिक चित्र |
धारा 170 . का उदाहरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 170 के अनुसार, जो भी कोई व्यक्ति विशिस्ट पद को लोक सेवक (सरकारी अधिकारी या सरकारी कर्मचारी) के नाते धारण करने का बहना यह जानते हुए कि वह ऐसा पद धारण नहीं करता है या किसी ऐसा पद धारण करने वाले का रूप धारण करता है, किसी विशेष पद को धारण करने के लिए अपात्र है और इस प्रकार का कोई कार्य करता है या करने का प्रयास करता है। तो दोनों में से किसी भी प्रकार के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकती है, या जुर्माने से, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
लागू अपराध
लोक सेवक का प्रतिरूपण।
सजा - दो साल कारावास या जुर्माना या दोनों।
यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध सुलह ( समझौता) करने लायक नहीं है।
अपराध : लोक सेवक का निजीकरण
सजा : 2 साल या जुर्माना या दोनों
संज्ञान: संज्ञेय
जमानत : गैर जमानती
विचारणीय : कोई भी मजिस्ट्रेट
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